उठो मगध आज
है इतिहास गवाह तेरे शौर्य की ए मगध,
है आज फिर मौका आर्यावर्त को वही नेतृत्व दिखाने का !!!
कहां गया तेरा वो ऐश्वर्य
है आज वक्त इतिहास दोहराने का I
बिलक रही माटी समुख अन्धकार है बड़ा ,
उठो मगध, है आज फिर मौका अन्धकार भगाने का I
चीत्कार रहा जन मानस आज मूकदर्शक है आकाश,
तूने दिया इसे जनतंत्र तूही इसे संभाले आज I
खंडित हो रहा है भारत, धर्म, भाषा का विष फैला आज,
मगध शूर क्या हुआ तुम्हे है,
जाग उठो ख़त्म करो ये उन्माद I
दिया पूर्वजों ने जो गौरव, करो तुम उसका सम्मान I
पुकार रहा इतिहास तुम्हें अब,
करो आर्यावर्त का उत्थान I
: shwetank
8 comments:
बढ़िया है श्वेतांक !!!!!
dhaanyvad...
Superb bro....awesome...we must send it for publishing
thanks... will see..
Loved the opening quote on 'common sense', that's what one needs to have to succeed at any place. Well written Shwetank!
heavy, but nice stuff mr. verma-vajpayee-bachchan. wonder if you've read one of Vajpayee's similar poems...i cant find the link but it starts like this...
हिंद महोदाद की छाती में धधकी अपमानो की ज्वाला
और आज आसेतु हिमाचल मूर्तिमान हृदयों की माला
सागर की उत्ताल तरंगो में जीवन का जीभर क्रंदन
सोने की लंका की मिटटी लगकर भरता आख प्रभंजन
शून्य तटों पर सर टकराकर पूछ रही सरयू की धरा
सगर्सुतो से भी बढ़कर मृतहाल हुआ क्या भारत सारा
powerful stuff!
Post a Comment