अकेला नहीं मझधार में तू साहिल,
तेरा मस्तूल ही बस मेरा सहारा है।
गुज़र जायेगा ये तूफान,
एक आस ही बस, अपना सहारा है I
मझधार से क्या डरना ऐ साहिल,
ये भी तो एक कठपुतली है,
ज़िन्दगी हमें नचाती है,
तूफ़ान उसे नचाता है I
SHWETANK VERMA, Senior research fellow, Dept of biochemistry, Indian Institute of Science (IISc), Bangalore - INDIA
Science is simply common sense at its best that is, rigidly accurate in observation, and merciless to fallacy in logic.
Thomas Henry Huxley (1825-95) .
I am working on ...
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